अब न रहीं वो दादी-नानी
कौन सुनाए आज कहानी
पापा दफ़्तर, उलझन, गुस्सा
अम्मा चूल्हा, बरतन, पानी
किसकी गोदी में छिप जाएँ
करके अब अपनी मनमानी
चांद पे बुढ़िया और न चरखा
और न वो परियाँ नूरानी
बाबा की तस्वीर मिली कल
गठरी में इक ख़ूब पुरानी
© Naresh Shandilya : नरेश शांडिल्य