अब उजियार होगा

हैं खड़ी सम्भावनाएँ द्वार, अब उजियार होगा मान बैठा है अँधेरा हार, अब उजियार होगा रात भर लड़ता रहा तम से निरन्तर रात भर बढ़ता रहा जो लक्ष्य पथ पर छल किये जो आँधियों ने सब विफल हैं ये दीये की साधना के पुण्य फल हैं स्वप्न होने जा रहे साकार, अब उजियार होगा हैं खड़ी सम्भावनाएँ द्वार, अब उजियार होगा क्षीण होने ना दिया उत्साह मन का कर रहा है सामना तूफ़ान घन का थरथराती श्वांस की बाती सँभाले जोड़कर बुझती हुई लौ की मशालें कर रहा इक सूर्य को तैयार, अब उजियार होगा हैं खड़ी सम्भावनाएँ द्वार, अब उजियार होगा तोड़ कर अवरोध सारे, ज्योति पथ पर चल दिया होकर अडिग कर्तव्य पथ पर कर दिया उजियार को सर्वस्व अर्पण काम आया लक्ष्य की ख़ातिर समर्पण श्रम नहीं जाता कभी बेकार, अब उजियार होगा हैं खड़ी सम्भावनाएँ द्वार, अब उजियार होगा हो गयीं संघर्ष से उजली दिशाएँ थक गयीं कर के जतन बैरन हवाएँ हार कर, तम की दीवारें ढह गई हैं रौशनी उन्मुक्त होकर कह रही है एक दिनकर का हुआ अवतार, अब उजियार होगा हैं खड़ी सम्भावनाएँ द्वार, अब उजियार होगा © Nikunj Sharma : निकुंज शर्मा