अदना-सा झूठ

“एक ही बार तो बोला था झूठ उस पर इतने सवाल! क्यों?” -पूछा था तुमने। नहीं समझ पाए थे तुम कि प्रश्न झूठ का था ही नहीं ….विश्वास का था! एक छोटे-से झूठ ने ला खड़ा किया था तुम्हारे पुराने सारे सच को शक़ के कठघरे में! © Sandhya Garg : संध्या गर्ग