फ़क़त बादल की तरह से बिखरना चाहता था बस
मुक़द्दर ही तेरे हाथों सँवरना चाहता था बस
मेरे होठों पे दुनिया ने बहुत ख़ामोशियाँ रख दीं
घड़ी भर ही मैं तुझसे बात करना चाहता था बस
© Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी
फ़क़त बादल की तरह से बिखरना चाहता था बस
मुक़द्दर ही तेरे हाथों सँवरना चाहता था बस
मेरे होठों पे दुनिया ने बहुत ख़ामोशियाँ रख दीं
घड़ी भर ही मैं तुझसे बात करना चाहता था बस
© Dinesh Raghuvanshi : दिनेश रघुवंशी