बेखुदी का धमाल था

कोई सुर था, न ताल था, क्या था बेखुदी का धमाल था, क्या था ख्वाब था या खयाल था क्या था हमको जिसका मलाल था क्या था तुमने पत्थर कहा, खुदा हमने अपना-अपना खयाल था, क्या था आग भड़की तो किस तरह भड़की ज़ेहनो-दिल में उबाल था, क्या था सारे किरदार एक जैसे थे हर कोई बेमिसाल था, क्या था कोई बाजी लगी थी आपस में या कि सिक्का उछाल था, क्या था रास्ते बंद हो चुके थे क्या आना-जाना मुहाल था, क्या था मौत को हम गले लगा बैठे ज़िंदगी का सवाल था, क्या था जिससे रफ्तार की तवक्को थी काले घोड़े की नाल था, क्या था © Davendra Gautam : देवेंद्र गौतम