भीष्म

पैदा ही सठियाए हुए थे क्या?
बाप की ‘लव मैरिज’ करा दी
छोटे भाई का घर बसाने के लिए
कर लाए कन्या-अपहरण!
बड़े सूरमा बनते थे
तब तुम्हारे शौर्य को
क्या पाला मार गया था
जब भरी सभा में पांचाली को…

कहते भी शर्म आती है
तब भी
काम आया था
उसका मुँह बोला नटवर भैया!

चेते भी तो कब
जब लेट ही रहे
ओछे मूल्यों की शर-शैया पर
मगर तब तक तो हाय
बहुत देर हो चुकी थी
पितामह!

© Jagdish Savita : जगदीश सविता