Category Archives: Poets

Chirag Jain : चिराग़ जैन


नाम : चिराग़ जैन जन्म : 27 मई 1985; नई दिल्ली शिक्षा : स्नातकोत्तर (जनसंचार एवं पत्रकारिता) पुरस्कार एवं सम्मान 1) भाषादूत सम्मान (हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार) 2016 2) सारस्वत सम्मान (जानकी देवी महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय) 2016 3) शब्द साधक सम्मान (राॅटरी क्लब, अपटाउन, दिल्ली) 2016 4) लेखक सम्मान (लेखक व पत्रकार संघ, दिल्ली) 2014 5) हिन्दी सेवी सम्मान (भारत विकास परिषद्, नई दिल्ली) 2014 6) कविहृदय सम्मान (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) 2013 7) छुपा रुस्तम सम्मान (वाह-वाह क्या बात है, सब टीवी) 2013 प्रकाशन कोई यूँ ही नहीं चुभता; काव्य-संग्रह; शिल्पायन प्रकाशन ओस; काव्य-संकलन; पाँखी प्रकाशन मन तो गोमुख है; काव्य-संग्रह; पाँखी प्रकाशन जागो फिर एक बार; काव्य-शोध; राष्ट्रीय कवि संगम पहली दस्तक; काव्य-संकलन; पाँखी प्रकाशन दूसरी दस्तक;काव्य-संकलन; पाँखी प्रकाशन निवास : नई दिल्ली


“27 मई 1985 को दिल्ली में जन्मे चिराग़ पत्रकारिता में स्नातकोत्तर करने के बाद ‘हिन्दी ब्लॉगिंग’ पर शोध कर रहे हैं। ब्लॉगिंग जैसा तकनीकी विषय अपनी जगह है और पन्नों पर उतरने वाली संवेदनाओं की चुभन और कसक की नमी अपनी जगह। कवि-सम्मेलन के मंचों पर एक सशक्त रचनाकार और कुशल मंच संचालक के रूप में चिराग़ तेज़ी से अपनी जगह बना रहे हैं। चिराग़ की रचनाओं में निहित पात्र का निर्माण एक भारतीय मानस् की मानसिक बनावट के कारण हुआ है, जिसे पगने, फूलने में सैकड़ों वर्ष लगे हैं। एक स्थिर व्यक्तित्व का चेहरा, जिसका दर्शन हमें पहली बार इनकी रचनाओं में होता है। एक चेहरे का सच नहीं, एक सच का चेहरा! जिसे चिराग़ ने गाँव, क़स्बों और शहरों के चेहरों के बीच गढ़ा है। औपनिवेशिक स्थिति में रहने वाले एक हिन्दुस्तानी की आर्कीटाइप छवि शायद कहीं और यदा-कदा ही देखने को मिले। एक सच्चा सच चिराग़ की रचनाओं में जीवन्त और ज्वलंत रूप में विद्यमान है कि उसकी प्रतिध्वनि सदियों तक सुनाई देगी। चिराग़ की रचनाओं की सबसे बड़ी विशेषता है कि इनमें हिमालय-सी अटलता भी है और गंगा-सा प्रवाह भी। चिराग़ की रचनाओं के कॅनवास पर दूर तक फैला हुआ एक चिन्तन प्रदेश मिलता है, सफ़र का उतार-चढ़ाव नहीं, मील के पत्थर नहीं कि जिन पर एक क्षण बैठकर हम रचनाकार के पद-चिन्हों को ऑंक सकें कि कहाँ वह ठिठका था, कौन-सी राह चुनी थी, किस पगडंडी पर कितनी दूर चलकर वापस मुड़ गया था। हमें यह भी नहीं पता चलता कि किस ठोकर की आह और दर्द उसके पन्नों पर अंकित है। चिराग़ की रचनाओं को पढ़कर लगता है कि वह ग़रीबी की यातना के भीतर भी इतना रस, इतना संगीत, इतना आनन्द छक सकता है; सूखी परती ज़मीन के उदास मरुथल में सुरों, रंगों और गंध की रासलीला देख सकता है; सौंदर्य को बटोर सकता है और ऑंसुओं को परख सकता है। किन्तु उसके भीतर से झाँकती धूल-धूसरित मुस्कान को देखना नहीं भूलता। नई पीढ़ी का सटीक प्रतिनिधित्व कर रहे चिराग़ को पढ़ना, वीणा के झंकृत स्वरों को अपने भीतर समेटने जैसा है। इस रचनाकार का पहला काव्य-संग्रह ‘कोई यूँ ही नहीं चुभता’ जनवरी 2008 में प्रकाशित हुआ था। इसके अतिरिक्त चिराग़ के संपादन में ‘जागो फिर एक बार’; ‘भावांजलि श्रवण राही को’ और ‘पहली दस्तक’ जैसी कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। हाल ही में चिराग़ की रचनाएँ चार रचनाकारों के एक संयुक्त संकलन ‘ओस’ में प्रकाशित हुई हैं।” –परिचय लेखक- नील

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Deepak Gupta : दीपक गुप्ता


नाम : दीपक गुप्ता जन्म : 15 मार्च 1972; नई दिल्ली नांगल चौधरी, हरियाणा शिक्षा : कला स्नातक; पीजीडीएम (मानव संसाधन) पुरस्कार एवं सम्मान राष्ट्रीय राजीव गाँधी युवा कवि पुरस्कार (1992 व 1994) बाल्कन जी बाड़ी इंटरनेशनल, नई दिल्ली साहित्यिक कृति पुरस्कार (1995-96) हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार सरस्वती रत्न सम्मान (2004) अखिल भारतीय स्वतन्त्र लेखक संघ इंदिरा देवी स्मृति सम्मान (2006) संस्कार भारती, हापुड़ फरीदाबाद गौरव सम्मान (2009) मानव सेवा समिति, फरीदाबाद, हरियाणा अट्टहास युवा रचनाकार सम्मान (2011) माध्यम साहित्यिक संस्था, लखनऊ भारतीय हास्य कवी सम्मान (2013) हिंदी अब्रॉड, कनाडा हास्य कवी सम्मान (2013) हिंदी प्रचारिणी सभा, कनाडा संस्कृति समन्वय सम्मान (2013) सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति हास्य रत्न सम्मान (2013) हरियाणवी काव्य अकादमी, भिवानी प्रकाशन सपनों में बंद मोती ( काव्य संग्रह) 1995 रास्ते आवाज़ देते हैं (ग़ज़ल संग्रह) 2012 रौशनी बाँटता हूँ (ग़ज़ल संग्रह) 2015 मज़े में रहो (ऑडियो सीडी) निवास : फरीदाबाद


15 मार्च 1972 को दिल्ली में जन्मे दीपक गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के कला स्नातक हैं। एक कवि के रूप में दीपक गुप्ता की पहचान हास्य-व्यंग्य के रचनाकार और प्रस्तोता के रूप में है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात से वाक़िफ़ हैं की दीपक गुप्ता नाम है उस ज़हीन शख़्स का जिसकी ग़ज़लियात अपने आप में दौर-ए-हाज़िर की तस्वीर को पेश करने की क़ाबिलियत रखती हैं। 1995 में दीपक गुप्ता का पहला काव्य-संग्रह ‘सीपियों में बंद मोती’ प्रकाशित हुआ और इस संग्रह को 1995-96 का ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ भी प्राप्त हुआ। अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सुसज्जित दीपक गुप्ता हिंदी कविता की वाचिक परंपरा का सुपरिचित नाम है। हास्य की क्षणिकाओं से घंटों श्रोताओं का मनोरंजन करने में सक्षम दीपक गुप्ता लौकिक जीवन में अपना व्यवसाय करते हैं।

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Davendra Gautam : देवेंद्र गौतम


नाम : देवेंद्र गौतम जन्म : 8 जनवरी 1955 (आरा, बिहार) शिक्षा : स्नातक पुरस्कार एवं सम्मान शहपर अवार्ड (2017) प्रकाशन आखरी मुकाम धुआं; (गज़ल-संग्रह) 2016 निवास : रांची, झारखंड  

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Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’


नाम : गोपालदास ‘नीरज’ जन्म : 4 जनवरी 1924; इटावा निधन : 19 जुलाई 2018 पुरस्कार एवं सम्मान पद्मश्री (1991) पद्म भूषण (2007) प्रकाशन बादलों से सलाम लेता हूँ प्राण गीत आसावरी गीत जो गाए नहीं बादर बरस गयो दो गीत नदी किनारे नीरज की गीतीकाएँ नीरज की पाती लहर पुकारे मुक्तकी गीत-अगीत विभावरी संघर्ष अंतरध्वनी


4 जनवरी सन् 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्मे गोपालदास ‘नीरज’ हिन्दी कविता की वो थाती हैं जिनके नाम से इस युग को जाना जाएगा। महाविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहते हुए भी नीरज जी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतकारों में शुमार होते थे। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें हिन्दी की वीणा का नाम दिया था। प्रेम किस सलीक़े से नीरज जी की रचनाओं को स्पर्श कर आध्यात्म और दर्शन के भव्य भवन में प्रविष्ट हो जाता है, ये उनकी रचनाएँ पढ़कर समझ आता है। सर्वविदित है कि जब नीरज जी मंच पर झूम कर काव्यपाठ करते हैं तो श्रोताओं को नशा चढ़ने लगता है। उल्लास, आनंद और ऊर्जा की पवित्र पयस्विनी उनके गीतों में अपने पूरे वेग से बहती दिखाई देती है। आपके गीतों ने सदैव हिन्दी पाठक के दिल पर राज़ किया है। भारत सरकार के पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे अलंकरणों से अलंकृत गोपालदास ‘नीरज’ हिन्दी काव्य जगत् का अभिमान हैं। आपने हिन्दी सिनेमा में भी अनेक फिल्मों के गीत लिखे। नीरज जी के गीत, गीतिका और दोहे से सजे अनेक संग्रह इस समय बाज़ार में उपलब्ध हैं। मृत्यु जैसे कटु सत्य पर दर्शन का भव्य गीत लिखने वाला ये रचनाकार 19 जुलाई 2018 को इस संसार से विदा हो गया।

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