किसकी चिता के फूल

जिनसे सुवासित शस्य श्यामल भूमि का कण-कण, हम हैं सुरक्षित आज तक जिस गंध के कारण I सोचो, कभी सोचा कि वे किसकी चिता के फूल हैं। हर शीत आतप वृष्टि में किंचित न मुरझाये कभी, वह शक्ति से लड़ते रहे देखे न कुम्हलाये कभी। मन कह रहा सच में यही अपराजिता के फूल हैं। गौरव हमारे राष्ट्र का संबल हमारा हैं यही, उनको नमन जिनसे सुरक्षित राष्ट्र की सीमा रही। वन्दन करें हम, जो हमारी अस्मिता के फूल हैं। © Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल