दोस्ती

लुट गये ख़ुद बचाई है यूँ दोस्ती दोस्तों को सिखाई है यूँ दोस्ती दोस्ती से बड़ी कोई दौलत नहीं वो न समझा गँवाई है यूँ दोस्ती तुझसे कुछ कह दिया, मुझसे कुछ कह दिया दोस्तों ने निभाई है यूँ दोस्ती जिसको सुनते ही भूलें सभी दुश्मनी मेरी ग़ज़लों में आई है यूँ दोस्ती हम तो जिसके हुए पूरे दिल से हुए हमने अब तक कमाई है यूँ दोस्ती बिजलियों ने कहा तो बरसने लगे बादलों ने निभाई है यूँ दोस्ती उनकी ज़िद देखकर अपनी ज़िद छोड़ दी हमने आख़िर बचाई है यूँ दोस्ती © Praveen Shukla : प्रवीण शुक्ल