नाम : गोपालदास ‘नीरज’ जन्म : 4 जनवरी 1924; इटावा निधन : 19 जुलाई 2018 पुरस्कार एवं सम्मान पद्मश्री (1991) पद्म भूषण (2007) प्रकाशन बादलों से सलाम लेता हूँ प्राण गीत आसावरी गीत जो गाए नहीं बादर बरस गयो दो गीत नदी किनारे नीरज की गीतीकाएँ नीरज की पाती लहर पुकारे मुक्तकी गीत-अगीत विभावरी संघर्ष अंतरध्वनी
4 जनवरी सन् 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा में जन्मे गोपालदास ‘नीरज’ हिन्दी कविता की वो थाती हैं जिनके नाम से इस युग को जाना जाएगा। महाविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहते हुए भी नीरज जी देश के सर्वाधिक लोकप्रिय गीतकारों में शुमार होते थे। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें हिन्दी की वीणा का नाम दिया था। प्रेम किस सलीक़े से नीरज जी की रचनाओं को स्पर्श कर आध्यात्म और दर्शन के भव्य भवन में प्रविष्ट हो जाता है, ये उनकी रचनाएँ पढ़कर समझ आता है। सर्वविदित है कि जब नीरज जी मंच पर झूम कर काव्यपाठ करते हैं तो श्रोताओं को नशा चढ़ने लगता है। उल्लास, आनंद और ऊर्जा की पवित्र पयस्विनी उनके गीतों में अपने पूरे वेग से बहती दिखाई देती है। आपके गीतों ने सदैव हिन्दी पाठक के दिल पर राज़ किया है। भारत सरकार के पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे अलंकरणों से अलंकृत गोपालदास ‘नीरज’ हिन्दी काव्य जगत् का अभिमान हैं। आपने हिन्दी सिनेमा में भी अनेक फिल्मों के गीत लिखे। नीरज जी के गीत, गीतिका और दोहे से सजे अनेक संग्रह इस समय बाज़ार में उपलब्ध हैं। मृत्यु जैसे कटु सत्य पर दर्शन का भव्य गीत लिखने वाला ये रचनाकार 19 जुलाई 2018 को इस संसार से विदा हो गया।