हम क़ामयाब हो गए

हौले-हौले ख्वाहिशों की उम्र बढ़ने लगी तो
दिल में जवान कितने ही ख्वाब हो गए
वक्त क़ी शिक़ायतों पे रब की इनायतें थीं
हमने जो देखे सपने ग़ुलाब हो गए
दुनिया ने रख दिए पग-पग पे सवाल
फिर भी इरादे सभी लाजवाब हो गए
ज़िन्दगी में और तो वसीला कुछ भी नहीं था
माँ ने दी दुआएँ हम क़ामयाब हो गए

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण