हौसले की दाद

बनाकर अपनी दुनिया को उसे बर्दाश्त भी करना ख़ुदा मेरे, मैं तेरे हौसले की दाद देता हूँ परिंदे ने कहा तू क़ैद रख या कर रिहा मुझको मैं अपनी ज़िन्दगी का हक़ तुझे, सैयाद देता हूँ मैं दुःख से घिर गया तो गैब से आवाज़ ये आई सुखों की छाँव मैं अक्सर दुखों के बाद देता हूँ तेरी यादों के पंछी जिस चमन में चहचहाते हैं लहू से सींच कर उसको वफ़ा की खाद देता हूँ बिना मर्ज़ी के उसकी कुछ नहीं होता ज़माने में ये कहकर खामियाँ अपनी ख़ुदा पर लाद देता हूँ © Deepak Gupta : दीपक गुप्ता