मौसम पहले प्यार का

आँखों के रास्ते मेरे दिल में समा गया न जाने कैसा जादू वो मुझको दिखा गया आँगन में दिल के वो नई कलियाँ खिला गया मौसम जो पहले प्यार का आना था आ गया समझाया दिल को आहटों का डर नही अच्छा दिल का धड़कना बात-बात पर नही अच्छा यूँ जागना-जगाना रात भर नही अच्छा कुछ भी समझ न पाऊँ नशा कैसा छा गया मौसम जो पहले प्यार का आना था आ गया हर दिन है सुहाना-सा हर एक रात अलग है सावन नया-नया सा है, बरसात अलग है यूँ जिंदगी वही है मगर बात अलग है मीठी कसक है जिसकी सितम ऐसा ढा गया मौसम जो पहले प्यार का आना था आ गया अब घर को सजाऊँ मैं कभी ख़ुद को सजाऊँ मैं सबसे हर एक बात हर एक राज छुपाऊँ सखियों को भी बताऊँ तो मैं कैसे बताऊँ दिल को भी कहाँ है ये ख़बर किस पे आ गया मौसम जो पहले प्यार का आना था आ गया © Nikunj Sharma : निकुंज शर्मा