ढल गया दिन

ढल गया दिन और अपना ख़्याल तक आया नहीं रात आई तो किसी कि आरज़ू में कट गई बेरहम दुनिया में जीना था बहुत मुश्क़िल मगर ज़िंदगी ख़ामोशियों से गुफ़्तगू में कट गई © Ashutosh Dwivedi : आशुतोष द्विवेदी