अपनी इस मादक यौवन की गति से

अपनी इस मादक यौवन की गति से तिहुँ-लोक हिला सकती तुम प्रस्तर को पिघला सकती, तुम बिंदु में सिन्धु मिला सकती हँसते-हँसते पतझार की धार में, फूल ही फूल खिला सकती निज मोहनि-मूरत से तुम काम की रानी को पानी पिला सकती © Ashutosh Dwivedi : आशुतोष द्विवेदी