मैं जिया हूँ ज़िन्दगी अपनी तरह

अपनी शर्तों पर हमेशा की तरह मैं जिया हूँ ज़िन्दगी अपनी तरह प्यार को न क़ैद कर सकता कोई ये सदा उड़ता है ख़ुशबू की तरह आँसुओं का सार है ये शायरी शब्द चाहे दो बदल कितनी तरह बोल कैसे बेवफ़ा कह दूँ उसे दे सका ना ग़म भी वो अच्छी तरह दर्द से जीवंत है अब तो ‘अरुण’ अब धड़कती है ग़ज़ल दिल की तरह © Arun Mittal Adbhut : अरुण मित्तल ‘अद्भुत’