होली पर तेरी मैं हो ली

दूर रहूँ तब भी मैं खेलूँ हर पल मन में तुमसे होली बरखा होती प्रेम रंग की मन में सजी है विरह रंगोली करूँ प्रतीक्षा कब आओगे छू कर तुमसे करूँ ठिठोली ले गुलाल, मुख माथ रगड़ भरो मांग में मेरे रोली पकड़ हाथ फिर बांधो मोली मधुर-मधुर हो अपनी बोली कर आलिंगन लूँ मैं चुंबन बन जाएँ हम तुम हमजोली मेरे मन में भाव अनेकों बनी है जिनकी मादक टोली कर उद्गार समर्पित तुमको होली पर मैं तेरी हो ली ले विश्वास भरो पिचकारी करो न कोई तोला-तोली अनन्त प्रेम की फुहारों से पावन कर दो मेरी होली © Anand Prakash Maheshwari : आनन्द प्रकाश माहेश्वरी