ये चंचल-सी रेत नहीं बंधती बंधन में भरभराकर फिसल जाती है आती है जब-जब वही सीमेंट की संगत में ईंट-पत्थर तक बाँध देती है। © Ambrish Srivastava : अम्बरीष श्रीवास्तव
ये चंचल-सी रेत नहीं बंधती बंधन में भरभराकर फिसल जाती है आती है जब-जब वही सीमेंट की संगत में ईंट-पत्थर तक बाँध देती है। © Ambrish Srivastava : अम्बरीष श्रीवास्तव