दोस्ती की आज क़समें खा रहा संसार है मुफ़लिसी में साथ दे जो वो ही अपना यार है दुश्मनी फिर भी भली, ना दोस्ती नादान की जान पायेगा नहीं वो कब बना हथियार है तंगदिल से दोस्ती यारो कभी होती नहीं दोस्ती में दिल खुला हो प्रीति की दरकार है रूप अपना किसने देखा किसने जाना दोस्तो दोस्ती कर आईने से आइना तैयार है हम समझते थे वहाँ हैं यार यारों के हमीं अब यहाँ पर जान पाए वाक़ई क्या प्यार है © Ambrish Srivastava : अम्बरीष श्रीवास्तव