प्यार तो करके देखो

नफ़रतें भूल के तुम प्यार तो करके देखो अपने जज्बात का इज़हार तो करके देखो ख़ुद-ब-ख़ुद वस्ल के सामान मुहैया होंगे दिल में पैदा तलब-ए-यार तो करके देखो क़त्ल को काफ़ी है ऑंखों में ये काजल की लकीर तेज़ खंज़र की ज़रा धार तो करके देखो हज़रते शैख़ भी आ जाएंगे मयख़ाने में तुम कभी थोड़ा-सा इसरार तो करके देखो दिल लगाने का कोई ख़ास नहीं है मौसम ‘जोश’ इस उम्र में तुम प्यार तो करके देखो © Abdul Gafoor Josh : अब्दुल ग़फ़ूर ‘जोश’