वो ये इतरा रहा है

ख़बर सुनकर वो ये इतरा रहा है मुझे उसका बिछोड़ा खा रहा है मेरे सय्याद को कोई बुला दो मेरे पिंजरे को तोड़ा जा रहा है निकलना है हमें कब से सफ़र पर मगर ये जिस्म आड़े आ रहा है मैं उसको याद भी करना न चाहूँ वो आकर ख़्वाब में उकसा रहा है चलो उसको अज़ीयत से निकालें सुना है अब भी वो पछता रहा है © Vishal Bagh : विशाल बाग़