आपने आंसू दिये थे

  आपने आंसू दिये थे जो हमें, बेच आये हम उन्हे बाज़ार में आपके बिन हम लगे थे हारने, सिर्फ आंसू ही दिये थे. प्यार ने, नैन पोंछे आ गये हम मंच पर प्यार के किस्से सुने संसार ने, क्या हुआ जो आजतक खामोश हो वेदनायें छप गयी अखबार में। भाव सोने के बिकी मेरी उदासी, बेच दी हमने यहीं हर रात प्यासी, सोचता हूँ यह भला कैसे हुआ? आपके बिन भी, खिली है पूर्णमासी, रोशनी ने इस तरह घेरा हमें, हम बुलाये जा चुके अंधियार में I मीत खालीपन कभी का भर चुका, लग रहा है प्यार अपना मर चुका, आंख के आंसू गिरे मोती बने, हर कोई सौदा हमारा कर चुका। हो समय तो आप आ जाना कभी, झूम लेना पीर के त्योहार मे। © Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल