चले गए तुम

धता बता कर चले गये तुम, अपना कोई पता बताकर जाते तो अच्छा होता तुम होते तो नदी किनारे बैठे बैठे हम, जीवन के ताने बाने बुनते, आते जब भी अमराई बौराने के मौसम, कोयल के मीठे गाने सुनते। कोयल गीत कहाँ पर गाये? उसको कोई लता बता कर जाते तो अच्छा होता। उधर गये तुम इधर हुये सब सपने तितर बितर, चारों ओर अजीब उदासी है, मन में सौ सौ प्रश्न उभरते रहते हैं अक्सर, सब कुछ क्यों इतना आभासी है। कैसे कोई मन समझाये, मेरी कोई ख़ता बताकर जाते तो अच्छा होता दुनिया भर की चीज़ें मुझको अब तक घेरे हैं, जिनका तुमसे कोई नाता था, उस नदिया के पानी पर भी चित्र उकेरे हैं, जिसमें चेहरा तक मिट जाता था। मैं अब किस से मन्नत माँगू, तुम कोई देवता बता कर जाते तो अच्छा होता। © Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल