मैं ही मैं

जीवन के अन्तिम छोर पर खड़ा मैं सोचता हूँ – जिन्होंने मुझसे घृणा की, जिन्होंने मेरी उपेक्षा की, वही सत्य थे। क्योंकि- करता नहीं कोई घृणा किसी से। करता नहीं कोई उपेक्षा किसी की। करता है ‘मैं’ ही ‘मैं’ का मूल्यांकन। Vishnu Prabhakar : विष्णु प्रभाकर