सागर का उपहास जल के कारण मत करो सागर का उपहास सीप, शंख, मोती मिले तुम्हें इसी के पास © Praveen Shukla : प्रवीण शुक्ल Related posts: अपनी आवाज़ ही सुनूँ कब तक चुप्पियाँ तोड़ना जरुरी है रुकना इसकी रीत नहीं है मक़सद स्मृतियाँ नैना गिरवी रख लिये ढूंढते रह जाओगे भूख के अहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो बाबुल का रोग छिना न माखन, हाय पहला-पहला प्यार भविष्य आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िन्दगी Anurag Mishra Gair : अनुराग मिश्र ‘ग़ैर’ अनपढ़ माँ दिल की गई चिंता उतर काग़ज़ पर उतर गई पीड़ा भीड़ चिड़ियों को पता नहीं कैसट