उसी तरह के रंग अपने जीवन में मिला, जिसको जैसा संग उसके चेह्रे पर मिले, उसी तरह के रंग © Praveen Shukla : प्रवीण शुक्ल Related posts: जीनी है ज़िन्दगी तो जियो प्यार की तरह बाबुल का रोग ज़माने ने कभी ऐसा कोई मंज़र नहीं देखा बदला-बदला लग रहा ना वो बचपन रहा मुझे मेरे ही भीतर से उठाकर ले गया कोई अपनी आवाज़ ही सुनूँ कब तक चुप्पियाँ तोड़ना जरुरी है ज़माना बदल गया नैना गिरवी रख लिये जीवन नहीं मरा करता है प्रेम के पुजारी साथ सब ना चल सकेंगे भीड़ छोटा हूँ तो क्या हुआ जो काँटों के पास थे छिना न माखन, हाय प्रेम क्या है पहला-पहला प्यार यो-यो