बढ़ो जवानो ! और आगे !
आगे, आगे, और आगे !
ताकत दी है राम ने,
रावण भी है सामने;
मेहनत के संग हुई सगाई,
छुट्टी ली आराम ने;
विजय-पताका की गाथाएँ,
गढ़ो जवानो ! और आगे !
ऊँची खड़ी पहाड़ियाँ,
जंगल-जंगल झाड़ियाँ;
नाचा करती मौत रात-दिन,
बदल-बदल की साड़ियाँ;
दुश्मन के दल की छाती पर,
चढ़ो जवानो ! और आगे !
रण-चण्डी हुंकारती
“चलो, उतारें आरती;
जय हर-हर, प्रलयंकर शंकर,
जय-जय भारत-भारती;
बलिदानों से लिखी इबारत
पढ़ो जवानो ! और आगे !
© Balbir Singh Rang : बलबीर सिंह ‘रंग’