शोखि़यों में घोला जाए, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलाई जाए, थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है
हँसता हुआ बचपन हो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छू लो तो बस शबनम है
गाँव में, मेले में, राह में, अकेले में
आता जो याद बार-बार, वो प्यार है
रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस छलके
जैसे बजे धुन कोई, रात में हल्के-हल्के
धूप में, छाँव में, झूमती हवाओं में
हरदम करे जो इन्तज़ार, वो प्यार है
याद अगर वो आए, ऐसे कटे तन्हाई
सूने शहर में जैसे बजने लगे शहनाई
आना हो, जाना हो, कैसा भी ज़माना हो
उतरे कभी न जो ख़ुमार, वो प्यार है
© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’
फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
स्वर : लता मंगेशकर व किशोर कुमार