बस वही

फूल जिसके, गंध जिसकी, मेल खाएगी हवा से
अब यही निर्णय हुआ है, बस वही उपवन हँसेगा

मालियों को कह रखा है, बीज वे अनुकूल बोएं
जो चुनिंदा उंगलियों में चुभ सकें, वो शूल बोएं
छांव का सौदा करें जो, पात हों वे टहनियों पर
जो उखड़ जाएं समय पर, वृक्ष वो निर्मूल बोएं

जो सदा आदेश पाकर बेहिचक महका करेगा
अब यही निर्णय हुआ है, बस वही चन्दन हँसेगा

है वही जुगनू, सदा जो रौशनी का साथ देगा
भोर को बांटे उजाला, रात के घर रात देगा
जो अंधेरा देख कर आँखें चुरा ले, सूर्य है वह
दीप जो तम से लड़ेगा, प्राण को आघात देगा

जो हमेशा धूप का आगत लिए तत्पर रहेगा
अब यही निर्णय हुआ है, बस वही आँगन हँसेगा

हर क़लम वैसा लिखेगी, जो उसे बतलाएंगे वे
जो चुनेंगे राह अपनी, कम प्रशंसा पाएंगे वे
स्याहियो! लेकर लहू तैयार बैठो तुम अभी से
चोट जनवादी बनाएगी अगर, बन जाएंगे वे

जो उन्हीं के गीत का स्वर साधकर कोरस बनेगा
अब यही निर्णय हुआ है, बस वही लेखन हँसेगा

© Manisha Shukla : मनीषा शुक्ला