असर होता है

किसी-किसी की निगाहों में असर होता है
किसी की शोख़ अदाओं में असर होता है

झूम उठता मयूर मन का इन्हें छूने से
कैसा ज़ुल्फ़ों की घटाओं में असर होता है

ज़र्रे-ज़र्रे में घुली उनकी संदली ख़ुश्बू
उनके कूँचे की हवाओं में असर होता है

छीन लाती हैं ज़िन्दगी को मौत से वापस
दवा से ज्यादा दुआओं में असर होता है

किसी को छलने से पहले ये सोच लेना तुम
दिल से निकली हुई आहों में असर होता है

कभी होता था असर सच में औ’ सबूतों में
अब ‘अगम’ झूठे गवाहों में असर होता है

© Anurag Shukla Agam : अनुराग शुक्ला ‘अगम’