बहुत कम चाहा

हर नए मोड़ पे बस एक नया ग़म चाहा
गहरे ज़ख़्मों के लिए थोड़ा-सा मरहम चाहा
हमने जो चाहा उसे पाया हमेशा लेकिन
एक अफ़सोस यही है कि बहुत कम चाहा

© Ashutosh Dwivedi : आशुतोष द्विवेदी