पर्वत और मैदानों में

पर्वत और मैदानों में, खेतों और खलिहानों में, अभी लड़ाई जारी है, सही लडा़ई जारी है ! नीची-नीची है ऊँचाई, ऊपर आ बैठी गहराई; काँटों के घर हँसी-खुशी है, फूलां को आ रही रूलाई; बागों और वीरानों में, आँसू और मुस्कानों में; अभी लड़ाई जारी है, सही लडा़ई जारी है ! चन्दा-सूरज धुँधले-धुँधले, तम के परदे उजले-उजले; नया सवेरा लाने वाली, किरणों के रंग बदले-बदले; रोगों और निदानों, संतों और सयानों में, अभी लड़ाई जारी है, सही लडा़ई जारी है ! आधी मदिरा, आधा पानी, सारी दुनिया है दीवानी; मदिरालय में कोलाहल है, साक़ी करता आनाकानी; शीशा और पैमानों में, शम्अ और परवानों में, अभी लड़ाई जारी है, सही लडा़ई जारी है ! © Balbir Singh Rang : बलबीर सिंह ‘रंग’