पहला-पहला प्यार मौसम कैसा भी रहे, कैसी चले बयार। बड़ा कठिन है भूलना, पहला-पहला प्यार॥ © Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’ Related posts: अपनी आवाज़ ही सुनूँ कब तक दिल की गई चिंता उतर नैना गिरवी रख लिये प्रेम के पुजारी इक आम-सी लड़की थी बाबुल का रोग स्मृतियाँ छिना न माखन, हाय चाह में है और कोई बूंदों की भाषा मैं तब से जानता हूँ भविष्य के फूल लेना होगा जनम हमें कई-कई बार उतनी दूर पिया तू मेरे गाँव से Anurag Mishra Gair : अनुराग मिश्र ‘ग़ैर’ अनपढ़ माँ जीवन नहीं मरा करता है काग़ज़ पर उतर गई पीड़ा भीड़ कैसट