ज़माना बदल गया

कम्बख़्त मेरी एक न माना बदल गया
पल भर में मेरा दोस्त पुराना बदल गया

जो मुझको चाहता था मेरा हाल देखकर
निकला है मेरा दोस्त सयाना बदल गया

आख़िर वही हुआ जो मुक़द्दर में था लिखा
तू क्या बदल गया कि ज़माना बदल गया

मुझको यक़ीन था कि स्वयंवर मैं जीतता
पर ऐन वक़्त मेरा निशाना बदल गया

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण