परिक्रिया

डार्करूम है मस्तिष्क पुतलियों के कैमरे से खिंचे निगेटिव यहाँ एक विशेष कैमिकल की मदद से किए जाते हैं टच स्टिच एन लार्ज और फिर फ्रेम करके सजा दिए जाते हैं स्मृतियों की दीर्घा में सजा-सँवरा यथार्थ जिसको जब ज़रा गर्दन झुकाई, देख लिया कालांतर में यह भी धुंधलाने लगता है पहचानना मुश्क़िल तब इतना ध्यान रहता है कि था कोई, हुआ था कुछ!   © Jagdish Savita : जगदीश सविता