रुकना इसकी रीत नहीं है

रुकना इसकी रीत नहीं है
वक़्त क़िसी का मीत नहीं है

जबसे तन्हा छोड़ गए वो
जीवन में संगीत नहीं है

माना छल से जीत गए तुम
जीत मगर ये जीत नहीं है

जिसको सुनकर झूम उठे दिल
ऐसा कोई गीत नहीं है

जाने किसका श्राप फला है
सपनों में भी ‘मीत’ नहीं है

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’