सब नज़र के साथ थे

सब रहे ख़ुश्बू की जानिब, सब नज़र के साथ थे
और हम उलझे हुए कुछ मसअलों के साथ थे

सच, नहीं मालूम क्या था, सबका मत था मुख्तलिफ़
कुछ नज़र के साथ थे, कुछ आइनों के साथ थे

हो रही है जाँच लावारिस शबों की आजकल
रहज़नों के साथ थे या रहबरों के साथ थे

ऐ मिरे हमदम बता गुज़रे जो अब तक हादिसे
रास्तों के साथ थे या मंज़िलों के साथ थे

एक घर के दरमियाँ भी लोग थे कितने ज़ुदा
कुछ गुलों के साथ थे, कुछ नश्तरों के साथ थे

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण