सपने सा…

उस रात ऊपर जा निकला, बुद्ध मिले महावीर मिले ईशु मिले… पूछने लगे.. कैसी चल रही है दुनिया? ”ख़ूब चल रही है बहुत हल्ला है आप लोगों की ‘वाणी’ का बात-बात पर आपकी ही क़सम पर हाँ शौक़ कुछ और भी पाल लिए हैं आपके अनुयाइयों ने जैसे कूटनीति, अणु बम, मिसाइल, रॉकेट कभी-कभी तो वाक़ई लड़ भी पड़ते हैं ख़ून बहाने लगते हैं मूरख! इन दिनों बड़ा बोलबाला है पत्रकारिता का, आतंकवाद का, उच्च स्तरीय कांफ्रेंसों का चुनावी जोड़-तोड़ का, संसद में धींगा-मस्ती का, नेताओं के भाषणों का, पिछले दिनों एक मस्जिद तोड़ दी थी क्या हंगामा मचा अभी तक भी कहाँ दबा हवाई जहाजों का अपहरण बम-विस्फोट ये तो चलो होते ही रहते हैं वैसे आपका नाम अभी भी बहुतों की ज़बान पर है आप बताइए आपकी इधर कैसे कट रही है? किसी ने कोई उत्तर नहीं दिया एक कोने में बैठा गांधी उसे बात करने की फ़ुर्सत कहाँ? गर्दन उठा के देखा तक नहीं व्यस्त था चर्ख़ा चलाने में सूत कातने में! © Jagdish Savita : जगदीश सविता