सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यूँ है

सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यूँ है इस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूँ है दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यूँ है तन्हाई की ये कौन-सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ो ता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यूँ है हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की वो ज़ूद-ए-पशेमान, पशेमान-सा क्यूँ है क्या कोई नई बात नज़र आती है हममें आईना हमें देख के हैरान-सा क्यूँ है © Akhlaq Muhhamad Khan Shaharyar : अख़लाक़ मुहम्मद खान ‘शहरयार’ फ़िल्म : गमन (1978) संगीतकार : जयदेव स्वर : सुरेश वाडकर