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Vishnu Prabhakar : विष्णु प्रभाकर

नाम : विष्णु प्रभाकर
जन्म : 21 जून 1912
शिक्षा :हिन्दी प्रभाकर

प्रकाशन
1) ढलती रात 1951
2) निशिकान्त 1955
3) तट के बन्धन 1955
4) स्वप्नमयी 1956
5) दर्पण का व्यक्ति 1968
6) परछाई 1968
7) कोई तो 1980
8) अर्द्धनारीश्वर 1992
9) संकल्प
10) जीवन पराग 1963
11) आपकी कृपा है 1982
12) कौन जीता कौन हारा 1989
13) चन्द्रहार 1952
14) होरी 1955
15) सुनंदा 1984
16) आवारा मसीहा 1974
17) चलता चला जाऊँगा 2010
18) जमना गंगा के नैहर में 1964
19) हँसते निर्झर दहकती भट्टी 1966
20) अभियान और यात्राएँ (संपादित) 1964
21) हिमशिखरों की छाया में 1981
22) ज्योतिपुंज हिमालय 1982

पुरस्कार एवं सम्मान
1) उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कथा-संग्रह ‘संघर्ष के बाद’ अगस्त 1956 में पुरस्कृत
2) इंडियन राइटर्स एसोसिएशन द्वारा पाब्लो नेरूदा सम्मान 1974
3) इंटरनेशनल ह्यूमनिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा इंटरनेशनल ह्यूमनिस्ट अवार्ड 1975
4) उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘आवारा मसीहा’ पर तुलसी पुरस्कार 1975-76
5) सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार 1976, राष्ट्रीय एकता पुरस्कार 1980
6) ‘शब्द शिल्पी’ की उपाधि 1981
7) हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा ‘आवारा मसीहा’ पर ‘सूर पुरस्कार’ 1980-81
8) रोटरी क्लब दिल्ली द्वारा सम्मानित 1981
9) आल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन, शिमला द्वारा ‘भारतेंदु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ 1983
10) साहित्य मंच जालंधर द्वारा सम्मानित 1983
11) साहित्यकार अभिनंदन प्रकाशन द्वारा ‘लघुकथा वारिधि’ सम्मान 1984
12) हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद द्वारा ‘साहित्य वाचस्पति’ की मानद उपाधि 1986
13) भारतीय बाल कल्याण परिषद, कानपुर द्वारा सम्मानित 1986
14) राजभाषा विभाग, बिहार सरकार द्वारा ‘बेनीपुरी पुरस्कार’ 1986-87
15) साहित्यकार मंडल (हरिगढ़), अलीगढ़ द्वारा साहित्यकार शिरोमणि 1987
16) उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘संस्थान सम्मान’ 1987
17) हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा 1987-88 शलाका सम्मान
18) भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली द्वारा ‘मूर्त्तिदेवी पुरस्कार’ 1988
19) महाराष्ट्र राज्य हिन्दी अकादमी द्वारा ‘अ.भा. हिन्दी सेवा पुरस्कार’ 1990-91
20) भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता द्वारा ‘हिन्दी भाषा साहित्यिक पुरस्कार’ 1992
21) साहित्य अकादमी पुरस्कार 1993
22) नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी द्वारा ताम्रपत्र से सम्मानित
23) उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘महात्मा गाँधी जीवन-दर्शन एवं साहित्य’ सम्मान 1995
24) केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा द्वारा ‘राहुल सांकृत्यायन यायावरी पुरस्कार’ 1995
25) बिहार राज्य राजभाषा समिति, पटना द्वारा ‘राजेन्द्र बाबू शिखर सम्मान’ 1999,
26) महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 2004 को पद्मभूषण
27) साहित्य अकादमी फैलोशिप 2006

निधन :11 अप्रैल 2009 (दिल्ली)

“अपने साहित्य में भारतीय वाग्मिता और अस्मिता को व्यंजित करने के लिये प्रसिद्ध रहे श्री विष्णु प्रभाकर का जन्म 21 जून सन् 1912 को मीरापुर, ज़िला मुज़फ़्फ़रनगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा पंजाब में हुई। उन्होंने सन् 1929 में चंदूलाल एंग्लो-वैदिक हाई स्कूल, हिसार से मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात् नौकरी करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय से भूषण, प्राज्ञ, विशारद, प्रभाकर आदि की हिंदी-संस्कृत परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से ही बी.ए. भी किया।

विष्णु प्रभाकर जी ने कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, निबंध, एकांकी, यात्रा-वृत्तांत और कविता आदि प्रमुख विधाओं में लगभग सौ कृतियाँ हिंदी को दीं। उनकी ‘आवारा मसीहा’ सर्वाधिक चर्चित जीवनी है, जिस पर उन्हें ‘पाब्लो नेरूदा सम्मान’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ सदृश अनेक देशी-विदेशी पुरस्कार मिले। प्रसिद्ध नाटक ‘सत्ता के आर-पार’ पर उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा ‘मूर्तिदेवी पुरस्कार’ मिला तथा हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वार ‘शलाका सम्मान’ भी। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के ‘गांधी पुरस्कार’ तथा राजभाषा विभाग, बिहार के ‘डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान’ से भी सम्मानित किया गया।

विष्णु प्रव्हाकर जी आकाशवाणी, दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं तथा प्रकाशन संबंधी मीडिया के विविध क्षेत्रों में पर्याप्त लोकप्रिय रहे। देश-विदेश की अनेक यात्राएँ करने वाले विष्णु जी जीवन पर्यंत पूर्णकालिक मसिजीवी रचनाकार के रूप में साहित्य-साधनारत रहे। 11 अप्रैल सन् 2009 को दिल्ली में विष्णु जी इस संसार से विदा ले गये।” -लेखक के एकमात्र कविता संग्रह ‘चलता चला जाऊंगा’ से साभार।

 

 

Vishal Bagh : विशाल बाग़

नाम : विशाल बाग़
जन्म : 25 मई 1982; कश्मीर
शिक्षा : बी.ई. (इलैक्ट्रॉनिक्स एन्ड टेलीकॉम)

निवास : गुरुग्राम

कश्मीर की खूबसूरती का एहसास कराती विशाल बाग़ की शायरी में एक ऐसा नयापन है जो अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता. मूलतः विशाल एक अभियंता हैं लेकिन मशीनी दिनचर्या से घिरे इस सुख़नवर के एहसास बेहद नाज़ुक और ताज़ा हैं. संवेदना के उस मुक़ाम तक विशाल की शायरी सफर कराती है जहाँ आश्चर्य और
सुकून एक साथ आ मिलते हैं. बचपन के खुशनुमा मंज़रों को अशआर में पिरो देने का हुनर विशाल की सबसे ख़ास दौलत है. इश्क़ की मीठी चुभन इन अशआर को संवारती है तो ज़िन्दगी के मसाइल में शामिल धड़कनो की आवाज़ से इनका नूर हज़ार गुना बढ़ जाता है.