Tag Archives: Anil Verma Meet Poems

हादसा गर हुआ नहीं होता

हादसा गर हुआ नहीं होता
आदमी वो बुरा नहीं होता

आदमी आदमी से डरता है
ख़ौफ़ दिल से जुदा नहीं होता

कब किधर से कहाँ को जाना है
आदमी को पता नहीं होता

कोई इमदाद ही नहीं करता
मेहरबाँ गर ख़ुदा नहीं होता

काश तेरी परेशां ज़ुल्फ़ों को
शाने तक ने छुआ नहीं होता

जो जुबाँ से तुम्हारी निकला था
काश मैंने सुना नहीं होता

कौन जाने नज़र से उनकी ‘मीत’
दूर क्यों आईना नहीं होता

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’

 

ज़माना देखता रह जाएगा

सिर्फ़ हैरत से ज़माना देखता रह जाएगा
बाद मरने के कहाँ किसका पता रह जाएगा

अपने-अपने हौसले की बात सब करते रहे
ये मगर किसको पता था सब धरा रह जाएगा

तुम सियासत को हसीं सपना बना लोगे अगर
फिर तुम्हें जो भी दिखेगा क्या नया रह जाएगा

मंज़िलों की जुस्तजू में बढ़ रहा है हर कोई
मंज़िलें गर मिल गईं तो बाक़ी क्या रह जाएगा

‘मीत’ जब पहचान लोगे दर्द दिल के घाव का
फिर कहाँ दोनों में कोई फ़ासला रह जाएगा

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’

 

मेरी बानी ख़ुद बोलेगी

मेरी बानी ख़ुद बोलेगी आज नहीं तो कल
ख़ामोशी भी लब खोलेगी आज नहीं तो कल

अलसाई आँखें खोलेगी आज नहीं तो कल
मन की कोयलिया बोलेगी आज नहीं तो कल

हरदम डरकर रहना इसको कहाँ गवारा है
हिम्मत अपने पर तोलेगी आज नहीं तो कल

अपनेपन की तर्ज़ तुम्हारी मेरे जीवन में
रंग मुहब्बत का घोलेगी आज नहीं तो कल

‘मीत’ तुझे आवारा कहने वाली ये दुनिया
तेरे पीछे ख़ुद हो लेगी आज नहीं तो कल

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’

 

दिल में ख़ुशी भर जाएगा

वो यक़ीनन ही हर एक दिल में ख़ुशी भर जाएगा
जो अंधेरी बस्तियों में रोशनी कर जाएगा

दौर ज़ुल्मों का अगर रोका गया न दोस्तो
आदमी ख़ुद आदमी के नाम से डर जाएगा

शर्म यूँ नीलाम होने आ गई बाज़ार में
शर्म गर बाक़ी रही तो आदमी मर जाएगा

लूटता फिरता है सबको तीरगी के नाम पर
देखना वो रोशनी के नाम से डर जाएगा

दिल दुखाना, आह भरना और रोना दोस्तो
‘मीत’-सा आशिक़ जहाँ में जीते जी मर जाएगा

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’

 

रुकना इसकी रीत नहीं है

रुकना इसकी रीत नहीं है
वक़्त क़िसी का मीत नहीं है

जबसे तन्हा छोड़ गए वो
जीवन में संगीत नहीं है

माना छल से जीत गए तुम
जीत मगर ये जीत नहीं है

जिसको सुनकर झूम उठे दिल
ऐसा कोई गीत नहीं है

जाने किसका श्राप फला है
सपनों में भी ‘मीत’ नहीं है

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’

 

फ़ासला कम अगर नहीं होता

फ़ासला कम अगर नहीं होता
फ़ैसला उम्र भर नहीं होता

कौन सुनता मेरी कहानी को
ज़िक्र तेरा अगर नहीं होता

बात तर्के-वफ़ा के बाद करूँ
हौसला अब मगर नहीं होता

कैसे समझाऊँ मैं तुझे ऐ दिल
सामरी हर शजर नहीं होता

तेरी रहमत का जिस पे साया हो
ख़ुद से वो बेख़बर नहीं होता

कौन कहता है ज़िन्दगानी का
रास्ता पुरख़तर नहीं होता

‘मीत’ मिलते हैं राहबर तो बहुत
पर कोई हमसफ़र नहीं होता

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’