Tag Archives: Dare

चंद सस्ती ख्वाहिशों पर सब लुटाकर मर गईं

चंद सस्ती ख्वाहिशों पर सब लुटाकर मर गईं
नेकियाँ ख़ुदगर्ज़ियों के पास आकर मर गईं

जिनके दम पर ज़िन्दगी जीते रहे हम उम्र भर
अंत में वो ख्वाहिशें भी डबडबाकर मर गईं

बदनसीबी, साज़िशें, दुश्वारियाँ, मातो-शिक़स्त
जीत की चाहत के आगे कसमसाकर मर गईं

मीरो-ग़ालिब रो रहे थे रात उनकी लाश पर
चंद ग़ज़लें चुटकुलों के बीच आकर मर गईं

वो लम्हा जब झूठ की महफ़िल में सच दाखिल हुआ
साज़िशें उस एक पल में हड़बड़ा कर मर गईं

क्या इसी पल के लिए करता था गुलशन इंतज़ार
जब बहार आई तो कलियाँ खिलखिला कर मर गईं

जिन दीयों में तेल कम था, उन दीयों की रोशनी
तेज़ चमकी और पल में डगमगा कर मर गईं

दिल कहे है- प्रेम में उतरी तो मीरा जी उठीं
अक्ल बोले- बावरी थीं, दिल लगाकर मर गईं

ये ज़माने की हक़ीक़त है, बदल सकती नहीं
बिल्लियाँ शेरों को सारे गुर सिखाकर मर गईं

© Chirag Jain : चिराग़ जैन

 

चांदनी से रात बतियाने सहेली आ गयी

चांदनी से रात बतियाने सहेली आ गयी
कुछ मुंडेरों के मुक़द्दर में चमेली आ गयी

पैर भी सुस्ता लिये, आँखों ने भी दम ले लिया
ज़िंदगी की राह में, दिल की हवेली आ गई

झाँकता है हर कोई ऐसे दिल-ए-नाशाद में
जैसे आंगन में कोई दुल्हन नवेली आ गई

बोझ कंधों का उतर कर गिर गया जाने कहाँ
जब मेरे सिर पे बुज़ुर्गों की हथेली आ गई

तीरगी का ख़ौफ़, सन्नाटे की दहशत थी मगर
इक किरण सूरज की धरती पर अकेली आ गयी

© Chirag Jain : चिराग़ जैन