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व्यापार

तुम कहते हो
कि पूर्ण कर देता है प्यार
दो आधे-अधूरे लोगों को

मैं सोचती हूँ
कि आधा या अधूरा व्यक्ति
कर ही नहीं सकता प्यार!

प्यार के लिए
आधा या पूरा नहीं
स्वयं में दो होना होता है।

प्यार नाम है देने का
और दे वही सकता है
जो पूरे से कुछ ज्यादा हो!
ताकि दे सके वह
निर्द्वन्द्व
बिना किसी पश्चाताप के

…कुछ लेना
फिर कुछ देना
ये तो व्यापार है
प्यार नहीं!

© Sandhya Garg : संध्या गर्ग

 

मानुष हौं तो वही रसखान

मानुष हौं तो वही रसखान, बसौं संग गोकुल गाँव के ग्वारन
जो पसु हौं तो कहा बसु मेरो चरौं नित नन्द की धेनु मँझारन
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरि छत्र पुरन्दर धारन
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिन्दि कूल कदम्ब की डारन

© Raskhan : रसखान

 

चंद सस्ती ख्वाहिशों पर सब लुटाकर मर गईं

चंद सस्ती ख्वाहिशों पर सब लुटाकर मर गईं
नेकियाँ ख़ुदगर्ज़ियों के पास आकर मर गईं

जिनके दम पर ज़िन्दगी जीते रहे हम उम्र भर
अंत में वो ख्वाहिशें भी डबडबाकर मर गईं

बदनसीबी, साज़िशें, दुश्वारियाँ, मातो-शिक़स्त
जीत की चाहत के आगे कसमसाकर मर गईं

मीरो-ग़ालिब रो रहे थे रात उनकी लाश पर
चंद ग़ज़लें चुटकुलों के बीच आकर मर गईं

वो लम्हा जब झूठ की महफ़िल में सच दाखिल हुआ
साज़िशें उस एक पल में हड़बड़ा कर मर गईं

क्या इसी पल के लिए करता था गुलशन इंतज़ार
जब बहार आई तो कलियाँ खिलखिला कर मर गईं

जिन दीयों में तेल कम था, उन दीयों की रोशनी
तेज़ चमकी और पल में डगमगा कर मर गईं

दिल कहे है- प्रेम में उतरी तो मीरा जी उठीं
अक्ल बोले- बावरी थीं, दिल लगाकर मर गईं

ये ज़माने की हक़ीक़त है, बदल सकती नहीं
बिल्लियाँ शेरों को सारे गुर सिखाकर मर गईं

© Chirag Jain : चिराग़ जैन

 

गीत पावन हुआ

गीत में जब तुम्हारे नयन आ गये
आ गये दूर से श्याम घन आ गये
गीत सावन हुआ गीत पावन हुआ
जब महावर भरे दो चरण आ गये
गीत में आ गयी जब तुम्हारी छुअन
वो कुंवारा बदन वो कुंआंरी छुअन
प्रेम की एक पावन प्रथा हो गया
गीत मेरे लिए देवता हो गया

गीत में सब अधूरे सपन आ गये
कामनाओं के सारे हवन आ गये
डाल पर जो खिले झड़ गये सूखकर
गीत में वे अभागे सुमन आ गये
गीत में आ गयीं खो चुकीं तितलियाँ
तेज़ आँधी में उड़ती हुयी पत्तियाँ
इस तरह गीत मेरी कथा हो गया
गीत मेरे लिए देवता हो गया

जो न जग से कहे वे कथन आ गये
जो न रोये गये वे रुदन आ गये
गीत सत्यम् शिवम्‌ सुन्दरम हो गया
और आनंद के चंद क्षण आ गये
गीत है कल्पनाओं की अलकापुरी
गीत है कृष्ण की सुरमयी बाँसुरी
गीत का बस यही अर्थ था हो गया
गीत मेरे लिए देवता हो गया

© Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल

 

मन मस्त हुआ

आदि से अनूप हूँ मैं, तेरा ही स्वरूप हूँ मैं
मेरी भी कथाएँ हैं अनन्त मेरे राम जी
लागी वो लगन तुझसे कि मन मस्त हुआ
दृग में समा गया दिगन्त मेरे राम जी
सपनों में आ के कल बोले मेरी बुढ़िया से
बाल-ब्रह्मचारी हनुमन्त मेरे राम जी
लेता है धरा पे अवतार जाके सदियों में
‘अल्हड़’ सरीखा कोई सन्त मेरे राम जी

© Alhad Bikaneri : अल्हड़ ‘बीकानेरी’