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एकलव्य

कैसा बेशर्म ट्यूटर था
एक मिनट पढ़ाया
और बरसों बाद बोला-
‘लाओ मेरी फीस’
उस लड़के को देखो
(कहाँ चरने चली गई थी अक्ल?)
अंगूठा काट कर सामने रख दिया
सीधा-सादा
ट्राइबल था बेचारा
आ गया रोब में
अब बांधता फिर उम्र भर पानी की पट्टी!
शर-संधान तुझसे होगा नहीं
भविष्य में
नहीं कर पाएगा
कुत्तों को अवाक्!

© Jagdish Savita : जगदीश सविता