मैंने उसकी कविता पढ़ी
शब्द थे केवल उन्नीस
पर मैं डूबा तो-
डूबता ही चला गया-
अवश, अबोल, आकंठ।
© Vishnu Prabhakar : विष्णु प्रभाकर
मैंने उसकी कविता पढ़ी
शब्द थे केवल उन्नीस
पर मैं डूबा तो-
डूबता ही चला गया-
अवश, अबोल, आकंठ।
© Vishnu Prabhakar : विष्णु प्रभाकर