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मेरे हमसफ़र

किसी राह में, किसी मोड़ पर
कहीं चल न देना तू छोड़ कर
मेरे हमसफ़र, मेरे हमसफ़र

किसी हाल में, किसी बात पर
कहीं चल न देना तू छोड़ कर
मेरे हमसफ़र, मेरे हमसफ़र

मेरा दिल कहे कहीं ये न हो
नहीं ये न हो, नहीं ये न हो
किसी रोज़ तुझसे बिछड़ के मैं
तुझे ढूंढती फिरूँ दर-ब-दर
मेरे हमसफ़र, मेरे हमसफ़र

तेरा रंग साया बहार का
तेरा रूप आईना प्यार का
तुझे आ नज़र में छुपा लूँ मैं
तुझे लग न जाए कहीं नज़र
मेरे हमसफ़र, मेरे हमसफ़र

तेरा साथ है तो है ज़िन्दगी
तेरा प्यार है तो है रौशनी
कहाँ दिन ये ढल जाए क्या पता
कहाँ रात हो जाए क्या ख़बर
मेरे हमसफ़र, मेरे हमसफ़र

फिल्म : मेरे हमसफ़र
संगीतकार : कल्याण जी- आनन्द जी
स्वर – मुकेश-लता मंगेशकर

© Anand Bakshi : आनन्द बख्शी

 

कारवां गुज़र गया

स्वप्न झरे फूल से
मीत चुभे शूल से
लुट गए सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गयी
पाँव जब तलक उठें कि ज़िन्दगी फिसल गयी
पात-पात झर गए कि शाख-शाख जल गयी
चाह तो सकी निकल न पर उमर निकल गयी
गीत अश्क़ बन गए
छंद हो दफ़न गए
साथ के सभी दिए, धुआँ-धुआँ पहन गए
और हम झुके-झुके
मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा
क्या सरूप था कि देख आइना सिहर उठा
इस तरफ़ ज़मीन और आसमां उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा
एक दिन मगर यहाँ
ऐसी कुछ हवा चली
लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली
और हम लुटे-लुटे
वक़्त से पिटे-पिटे
साँस की शराब का खुमार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की संवार दूं
होंठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूं
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूं
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमि पर उतार दूं
हो सका न कुछ मगर
शाम बन गयी सहर
वह उठी लहर कि ढह गए किले बिखर-बिखर
और हम डरे-डरे
नीर नयन में भरे
ओढ़कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे
कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे

माँग भर चली कि एक जब नयी-नयी किरण
ढोलकें धुनुक उठीं ठुमुक उठे चरण-चरण
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन
गाँव सब उमड़ पडा बहक उठे नयन-नयन
पर तभी ज़हर भारी
गाज एक वह गिरी
पुंछ गया सिन्दूर तार-तार हुई चूनरी
और हम अजान से
दूर के मकान से
पालकी लिए हुए कहार देखते रहे
कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे

एक रोज़ एक गेह चांद जब नया उगा
नौबतें बजीं, हुई छटी, डठौन, रतजगा
कुण्डली बनी कि जब मुहूर्त पुण्यमय लगा
इसलिए कि दे सके न मृत्यु जन्म को दग़ा
एक दिन न पर हुआ
उड़ गया पला सुआ
कुछ न कर सके शकुन, न काम आ सकी दुआ
और हम डरे-डरे
नीर नैन में भरे
ओढ़कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे
चाह थी न किन्तु बार-बार देखते रहे
कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फ़िल्म : नई उम्र की नई फ़सल (1966)
संगीतकार : रोशन
स्वर : मोहम्मद रफ़ी

 

ये रातें नई-पुरानी

ये रातें नई-पुरानी
आते-जाते कहती हैं कोई कहानी

आ रहा है देखो कोई, जा रहा है देखो कोई
सबके दिल हैं जागे-जागे, सबकी ऑंखें खोई-खोई
ख़ामोशी से करती है बातें

क्या समा है, जैसे ख़ुश्बू उड़ रही हो कलियों से
गुज़री हो निंदिया में पलकों की गलियों से
सुन्दर सपनों की बारातें

कौन जाने कब चलेंगी किस तरफ़ से ये हवाएँ
साल भर तो याद रखना, ऐसा ना हो भूल जाएँ
इस रात की मुलाक़ातें

फिल्म : जूली
संगीतकार : राजेश रोशन
स्वर : लता मंगेशकर

© Anand Bakshi : आनन्द बख्शी

 

ये क्या जगह है दोस्तो, ये कौन-सा दयार है

ये क्या जगह है दोस्तो, ये कौन-सा दयार है
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है

ये किस मुकाम पर हयात मुझको ले के आ गई
न बस ख़ुशी पे है जहाँ, न ग़म पे इख़्तियार है

तमाम उम्र का हिसाब मांगती है ज़िन्दगी
ये मेरा दिल कहे तो क्या, ये ख़ुद से शर्मसार है

बुला रहा क्या कोई मुझको चिलमनों के उस तरफ़
मेरे लिये भी क्या कोई उदास बेक़रार है

न जिसकी शक्ल है कोई, न जिसका नाम है कोई
इक ऐसी शै का क्यों हमें अज़ल से इंतज़ार है

फ़िल्म : उमराव जान (1981)
संगीतकार : ख़ैयाम
स्वर : आशा भोंसले

© Akhlaq Muhhamad Khan Shaharyar : अख़लाक़ मुहम्मद खान ‘शहरयार’

 

शोखि़यों में घोला जाए, फूलों का शबाब

शोखि़यों में घोला जाए, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलाई जाए, थोड़ी सी शराब
होगा यूँ नशा जो तैयार, वो प्यार है

हँसता हुआ बचपन हो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छू लो तो बस शबनम है
गाँव में, मेले में, राह में, अकेले में
आता जो याद बार-बार, वो प्यार है

रंग में पिघले सोना, अंग से यूँ रस छलके
जैसे बजे धुन कोई, रात में हल्के-हल्के
धूप में, छाँव में, झूमती हवाओं में
हरदम करे जो इन्तज़ार, वो प्यार है

याद अगर वो आए, ऐसे कटे तन्हाई
सूने शहर में जैसे बजने लगे शहनाई
आना हो, जाना हो, कैसा भी ज़माना हो
उतरे कभी न जो ख़ुमार, वो प्यार है

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
स्वर : लता मंगेशकर व किशोर कुमार

 

तू सो जा मेरे लाल

सो जा, सो जा
तू सो जा मेरे लाल

पंख झरे तितली के, उड़े दिन के रंग
खिड़की-खिड़की मौन खड़ी है, द्वार-द्वार है दंग

दर्द का दुशाला तेरा, दुखों को बिछौना
आँसुओं के हाथ ले तू, चंद्र का खिलौना

तू हँसे बस एक जो, हँसें नदी के प्राण
हर ख़ुशी रहे सहेली, बन के तेरे साथ

जाग मत तू, जागना बहुत-बहुत है कठिन
जागने के मन से दीखते यहाँ क़फ़न

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फिल्म : सती नारी (1965)
संगीतकार : शिवराम
स्वर : सुमन कल्याणपुर

 

लेना होगा जनम हमें कई-कई बार

फूलों के रंग से, दिल की क़लम से, तुझको लिखी रोज़ पाती
कैसे बताऊँ, किस-किस तरह से, पल-पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने लेकर के सोया, तेरी ही यादों में जागा
तेरे ख़यालों में उलझा रहा यूँ, जैसे कि माला में धागा
बादल-बिजली, चंदन-पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार
इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार

साँसों की सरगम, धड़कन की वीणा, सपनों की गीतांजलि तू
मन की गली में, महके जो हरदम, ऐसी जुही की कली तू
छोटा सफ़र हो, लम्बा सफ़र हो, सूनी डगर हो या मेला
याद तू आए, मन हो जाए, भीड़ के बीच अकेला
बादल-बिजली, चंदन-पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार
इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार

पूरब हो पच्छिम, उत्तर हो दक्खिन, तू हर जगह मुस्कुराए
जितना भी जाऊँ, मैं दूर तुझसे, उतनी ही तू पास आए
आंधी ने रोका, पानी ने टोका, दुनिया ने हँस कर पुकारा
तस्वीर तेरी लेकिन लिए मैं कर आया सबसे किनारा
बादल-बिजली, चंदन-पानी जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार
इतना मदिर, इतना मधुर, तेरा-मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें, कई-कई बार

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
स्वर : किशोर कुमार

 

प्रेम के पुजारी

प्रेम के पुजारी
हम हैं रस के भिखारी
हम है प्रेम के पुजारी

कहाँ रे हिमाला ऐसा, कहाँ ऐसा पानी
यही वो ज़मीं, जिसकी दुनिया दीवानी
सुन्दरी न कोई, जैसी धरती हमारी

राजा गए, ताज गया, बदला जहाँ सारा
रोज़ मगर बढ़ता जाए, कारवां हमारा
फूल हम हज़ारों लेकिन, ख़ुश्बू एक हमारी

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

फिल्म : प्रेम पुजारी (1970)
संगीतकार : सचिन देव बर्मन
स्वर : सचिन देव बर्मन