नाम : रामावतार त्यागी
जन्म : मार्च 1925; मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
निधन : 12 अप्रेल 1985
मार्च 1925 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले के संभल तहसील में जन्मे रामावतार त्यागी जी दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण करने वाले एक ऐसे हस्ताक्षर थे जिन्होंने हिन्दी गीत को एक नया मुक़ाम दिया। आपके गीतों के विषय में बालस्वरूप राही जी कहते हैं कि त्यागी की बदनसीबी यह है कि दर्द उसके
साथ लगा रहा है, उसकी ख़ुशनसीबी यह है कि दर्द को गीत बनाने की कला में वह माहिर है। गीत को जितनी शिद्दत से उसने लिया है, वह स्वयं में एक मिसाल है। आधुनिक गीत साहित्य का इतिहास उसके गीतों की विस्तारपूर्वक चर्चा के बिना लिखा ही नहीं जा सकता।
रामधारी सिंह दिनकर आपके गीतों पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि त्यागी के गीतों में यह प्रमाण मौजूद है कि हिन्दी के नए गीत अपने साथ नई भाषा, नए मुहावरे, नई भंगिमा और नई विच्छिति ला रहे हैं। त्यागी के गीत मुझे बहुत पसन्द आते हैं। उसके रोने, उसके हँसने, उसके बिदकने और चिढ़ने, यहाँ तक कि उसके गर्व
में भी एक अदा है जो मन मोह लेती है।
‘नया ख़ून’; ‘मैं दिल्ली हूँ’; ‘आठवाँ स्वर’; ‘गीत सप्तक-इक्कीस गीत’; ‘गुलाब और बबूल वन’; ‘राष्ट्रीय एकता की कहानी’ और ‘महाकवि कालिदास रचित मेघदूत का काव्यानुवाद’ जैसे अनेक काव्य संकलनों के साथ ही साथ ‘समाधान’ नामक उपन्यास; ‘चरित्रहीन के पत्र’; ‘दिल्ली जो एक
शहर था’ और ‘राम झरोखा’ जैसी गद्य रचनाएँ भी आपके रचनाकर्म में शामिल हैं। अनेक महत्तवपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं का आपने जीवन भर सम्पादन किया।
हिन्दी फिल्म ‘ज़िन्दगी और तूफ़ान’ में मुकेश द्वारा गाया गया आपका गीत ‘ज़िन्दगी और बता तेरा इरादा क्या है’ ख़ासा लोकप्रिय हुआ। आपके गीत संवेदी समाज के बेहद एकाकी पलों के साथी हैं। 12 अप्रेल सन् 1985 को आप अपने गीत हमारे बीच छोड़कर हमसे विदा ले गए।