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ज़माना देखता रह जाएगा

सिर्फ़ हैरत से ज़माना देखता रह जाएगा
बाद मरने के कहाँ किसका पता रह जाएगा

अपने-अपने हौसले की बात सब करते रहे
ये मगर किसको पता था सब धरा रह जाएगा

तुम सियासत को हसीं सपना बना लोगे अगर
फिर तुम्हें जो भी दिखेगा क्या नया रह जाएगा

मंज़िलों की जुस्तजू में बढ़ रहा है हर कोई
मंज़िलें गर मिल गईं तो बाक़ी क्या रह जाएगा

‘मीत’ जब पहचान लोगे दर्द दिल के घाव का
फिर कहाँ दोनों में कोई फ़ासला रह जाएगा

© Anil Verma Meet : अनिल वर्मा ‘मीत’

 

खग उड़ते रहना जीवन भर

खग! उड़ते रहना जीवन भर!
भूल गया है तू अपना पथ
और नहीं पंखों में भी गति
किंतु लौटना पीछे पथ पर, अरे मौत से भी है बदतर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

मत डर प्रलय-झकोरों से तू
बढ़ आशा-हलकोरों से तू
क्षण में यह अरि-दल मिट जाएगा तेरे पंखों से पिसकर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

यदि तू लौट पड़ेगा थक कर
अंधड़ काल-बवंडर से डर
प्यार तुझे करने वाले ही, देखेंगे तुझको हँस-हँसकर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

और मिट गया चलते-चलते
मंज़िल-पथ तय करते-करते
तेरी ख़ाक़ चढ़ाएगा जग उन्नत भाल और आँखों पर।
खग! उड़ते रहना जीवन भर!

© Gopaldas Neeraj : गोपालदास ‘नीरज’

 

पथिक!

पथिक! तुम्हारे पथ में कोई
दृश्य अनूठा आया होगा
धूली के कण-कण ने रह-रह
गीत अनूठा गाया होगा

कान तुम्हारे पास नहीं थे
पंछी गण की कलकल ध्वनि ने
उन्हें चुराया उन्हें लुभाया
सुख संवाद सुनाया होगा

ललित लताओं की कलियों में
बंदी थी वे चल ताराएँ
दीन-हीन जगती का हामी
सपने में तरसाया होगा

पैर तुम्हारे दुरभिमान से
रोंद रहे थे दीन कणों को
हो रहा था भू में कंपन
जगती को ठुकराया होगा

कोमल पावन हाथ तुम्हारे
कैसे उन नीचों को छूते
पाद तलों से घिसते-घिसते
जिसने जीवन पाया होगा

स्पंदन हीन दृश्य में शोणित
संचालन का वेग कहाँ था
मानवता-दानवता के विच
इतना अंतर पाया होगा

© Acharya Mahapragya : आचार्य महाप्रज्ञ

 

Charanjeet Charan : चरणजीत चरण

नाम : चरणजीत चरण
जन्म : 13 जून 1975
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिंदी तथा राजनीति शास्त्र)

प्रकाशन
सरगोशियाँ; पाँखी प्रकाशन
हसरतों के आईने; पाँखी प्रकाशन

निवास :ग्रेटर नोएडा

हिंदी काव्य मंच के भविष्य का चेहरा जिन चंद रचनाकारों से मिलकर तैयार होता है, उनमें से चरणजीत एक अहम् नाम है। देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के छोटे से गाँव रन्हेरा में जन्मे चरणजीत हिंदी तथा राजनीति शास्त्र विषयों में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई भी
की। वर्ष 2009 में एन चन्द्रा द्वारा निर्मित फिल्म ‘ये मेरा इंडिया’ और 2011 में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘माई फ्रैंड पिंटो’ में भी चरण ने गीत लिखे हैं। वर्तमान में चरणजीत उत्तर प्रदेश सरकार में अध्यापन कार्य से जुड़े हैं।
चरणजीत ‘चरण’ ग़ज़ल और छंदबद्ध कविता के ऐसे माहिर हस्ताक्षर हैं, जिन्हें सुनना स्वयं में एक अनोखा अहसास है। जब वे मंच पर छंद पढ़ रहे होते हैं तो प्रवाह का एक ऐसा समा बंधता है कि पूरे वातावरण में घनाक्षरी गूंजने लगता है। उनकी कविता में वर्तमान परिप्रेक्ष्य की विडंबनाओं पर तीखा कटाक्ष तो है ही, साथ ही
साथ सांस्कृतिक अवमूल्यन के प्रति एक गहरी चिंता भी है। वे सशक्त रूप में अपने गीतों के माध्यम से रूढ़ियों पर प्रहार भी करना जानते हैं और शालीनता के साथ गंभीर मुद्दों पर प्रश्न भी उठा सकते हैं।