Tag Archives: See off

दो पल तुम्हारे

ओ हमारी यात्रा के मौन सहचर,
मैँ न दे पाया तुम्हे दो पल तुम्हारे।

याद है मुझको मरुस्थल की कहानी,
दूर तक दिखता न था दो बूँद पानी,
तब तुम्हारे लोचनोँ से बल मिला था,
बन गये थे नैन गंगाजल तुम्हारे।

याद है मुझको हवा की वह प्रबलता,
छोड़ आये थे कहीँ हम नीड़ जलता,
देखते थे लोग सारे मौन होकर,
जल रहे थे प्रश्न मेरे हल तुम्हारे।

लौट आये हम उसी नदिया किनारे,
दूर तक बिखरे हुये हैँ सब सितारे,
मन क्षितिज पर बिजलियाँ कौँधी अचानक,
आ गये भेजे हुये बादल तुम्हारे।

© Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल

 

मैं शायद अब नहीं मिलूँगा

मेरे गीत मिलेंगे तुमको, मैं शायद अब नहीं मिलूँगा I

रंग बिरंगे फूल मिलेंगे, फूलों पर तितलियां मिलेंगी,
तितली के पंखों को छूना,छूकर अपने हाथ देखना,
हाथों पर कुछ रंग दिखेंगे,शायद उन्हें सहेज सको तुम
उन रंगों में तुम्हे मिलूंगा जी भर अपने हाथ देखना,
कई अतीत मिलेंगे तुमको मैं शायद अब नहीं मिलूँगा।

मेरे जाते ही कुछ तारे , बस अंगारे बन जायेंगे
तुम्हें लगेगा आसमान में ,कुछ हलचल है बारिश होगी
चांद कई टुकड़ों में होगा, तुम्हे लगेगा कुछ साजिश है
आंख तुम्हारी गीली होगी और न कोई साजिश होगी
सब विपरीत मिलेंगे तुमको मैं शायद अब नहीं मिलूँगा।

साथ तुम्हारे यादें होंगी, पल पल साथ निभाने वाली
दिन का सफर साथ करने को सूरज भी तैयार मिलेगा
जिस दिन मुझे भूल जाओगे तुम दुनिया को प्यार करोगे
तब ही तुम को दुनियाभर से दुनियाभर का प्यार मिलेगा,
सारे मीत मिलेंगे तुमको मैं शायद अब नहीं मिलूँगा।

© Gyan Prakash Aakul : ज्ञान प्रकाश आकुल