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याद रखना!

अब हमारी याद में रोना मना है
याद रखना!

हम तुम्हें उपलब्ध थे, तब तक सरल थे, जान लो
प्रश्न अनगिन थे तुम्हारे, एक हल थे, जान लो
एक पत्थर पर चढ़ाकर देख लो जल गंग का
हम तुम्हारे प्रेम में कितने तरल थे, जान लो

प्रेम में छल के प्रसव की पीर पाकर
बालपन में मर चुकी संवेदना है
याद रखना!

हम हुए पातालवासी इक तुम्हारी खोज में
प्राण निकलेंगे अभागे एक ही दो रोज़ में
साध मिलने की असंभव हो गई है,जानकर
भूख के मारे अनिच्छा हो गई है भोज में

पूर्ति के आगार पर होती उपेक्षित
बन चुकी हर इक ज़रूरत वासना है
याद रखना!

जो प्रमुख है, वो विमुख है, बस नियति का खेल है
पटरियां अलगाव पर हों, दौड़ती तब रेल है
जानकर अनजान बनना चाहता है मन मुआ
छोड़ चंदन, ज्यों लिपटती कीकरों से बेल है

भूल के आग्रह बहुत ठुकरा चुका है
कुछ दिनों से मन बहुत ही अनमना है
याद रखना!

© Manisha Shukla : मनीषा शुक्ला

 

ज़माना बदल गया

कम्बख़्त मेरी एक न माना बदल गया
पल भर में मेरा दोस्त पुराना बदल गया

जो मुझको चाहता था मेरा हाल देखकर
निकला है मेरा दोस्त सयाना बदल गया

आख़िर वही हुआ जो मुक़द्दर में था लिखा
तू क्या बदल गया कि ज़माना बदल गया

मुझको यक़ीन था कि स्वयंवर मैं जीतता
पर ऐन वक़्त मेरा निशाना बदल गया

© Charanjeet Charan : चरणजीत चरण